योग क्या
है? | What is Yoga
in Hindi
योग भारतीय ज्ञान की पांच हजार
वर्ष पुरानी शैली है। हालांकि कई लोग योग
को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं।
यह वास्तव में केवल मनुष्य के मन और
आत्मा की अनंत क्षमता
का खुलासा करने वाले इस गहन विज्ञान
के सबसे सतही पहलू हैं,
योग का अर्थ इन
सब से कहीं विशाल
है । योग संस्कृत
धातु 'युज' से निकला है,
जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना
या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना
या रूह से मिलन। योग
विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार
आत्मसात किया गया है। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर कहते हैं,
"योग सिर्फ व्यायाम और आसन नहीं
है। यह भावनात्मक एकीकरण
और रहस्यवादी तत्व का स्पर्श लिए
हुए एक आध्यात्मिक ऊंचाई
है, जो आपको सभी
कल्पनाओं से परे की
कुछ एक झलक देता
है।"
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योग |
योग
का इतिहास | History of Yoga
in Hindi
योग
विज्ञान का इतिहास दस
हजार साल से भी अधिक
समय से प्रचलन में
है।योग सबसे
पुराने जीवन्त साहित्य ऋग्वेद में पाया जाता है। सिन्धु-सरस्वती सभ्यता में पशुपति मुहर (सिक्का) जिस पर योग मुद्रा
में विराजमान एक आकृति है,
जो वह उस प्राचीन
काल में योग की व्यापकता को
दर्शाती है। हालांकि, प्राचीनतम उपनिषद, बृहदअरण्यक में भी, योग का हिस्सा बन
चुके, विभिन्न शारीरिक अभ्यासों का उल्लेख मिलता
है। छांदोग्य उपनिषद में प्रत्याहार का तो बृहदअरण्यक
के एक स्तवन (वेद
मंत्र) में प्राणायाम के अभ्यास का
उल्लेख मिलता है। योग के वर्तमान स्वरूप
के बारे में, पहली बार उल्लेख शायद कठोपनिषद में आता है, यह यजुर्वेद की
कथाशाखा के अंतिम आठ
वर्गों में पहली बार शामिल होता है जोकि एक
मुख्य और महत्वपूर्ण उपनिषद
है। योग को यहाँ भीतर
(अन्तर्मन) की यात्रा या
चेतना को विकसित करने
की एक प्रक्रिया के
रूप में देखा जाता है।
योगा
धीरे-धीरे एक अवधारणा के
रूप में उभरा है और भगवद
गीता के साथ साथ,
महाभारत के शांतिपर्व में
भी योग का एक विस्तृत
उल्लेख मिलता है।बीस से भी अधिक
उपनिषद और योग वशिष्ठ
उपलब्ध हैं, जिनमें महाभारत और भगवद गीता
से भी पहले से
ही, योग के बारे में,
सर्वोच्च चेतना के साथ मन
का मिलन होना कहा गया है।
योग
का महत्व | Importance of Yoga
वर्तमान
समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग
संतोष पाने के लिए योग
करते हैं। योग से न केवल
व्यक्ति का तनाव दूर
होता है बल्कि मन
और मस्तिष्क को भी शांति
मिलती है। योग बहुत ही लाभकारी है।
योग न केवल हमारे
दिमाग, मस्तिष्क को ही
ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी
आत्मा को भी
शुद्ध करता है। आज बहुत से
लोग मोटापे से परेशान हैं,
उनके लिए योग बहुत ही फायदेमंद है।
योग के फायदे से
आज सब ज्ञात है,
जिस वजह से आज योग
विदेशों में भी प्रसिद्ध है।
भारत
के प्रसिद्ध योगगुरु | Famous Yoga Gurus of India
वैसे
तो योग हमेशा से हमारी प्राचीन
धरोहर रही है। समय के साथ-साथ
योग विश्व प्रख्यात तो हुआ ही
है साथ ही इसके महत्व
को जानने के बाद आज
योग लोगों की दिनचर्या का
अभिन्न अंग भी बन गया
है। लेकिन योग के प्रचार-प्रसार
में विश्व प्रसिद्ध योगगुरुओं का भी योगदान
रहा है, जिनमें से अयंगर योग
के संस्थापक बी के एस
अयंगर और योगगुरु रामदेव
का नाम अधिक प्रसिद्ध है।
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योग |
योगा
के प्रकार | Type of Yoga
शीर्षासन
: सिर के बल किए
जाने की वजह से
इसे शीर्षासन कहते हैं। इससे पाचनतंत्र ठीक रहता है साथ ही
मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे की स्मरण शक्ति
सही रहती है।
सूर्य
नमस्कार : सूर्य नमस्कार करने से शरीर निरोग
और स्वस्थ होता है। सूर्य नमस्कार की दो स्थितियां
होती हैं- पहले दाएं पैर से और दूसरा
बाएं पैर से।
कटिचक्रासन
: कटि का अर्थ कमर
अर्थात कमर का चक्रासन। यह
आसन खड़े होकर किया जाता है। इससे कमर, पेट, कूल्हे को स्वस्थ रखता
है। इससे कमर की चर्बी कम
होती है।
पादहस्तासन
: इस आसन में हम अपने दोनों
हाथों से अपने पैर
के अंगूठे को पकड़ते हैं,
पैर के टखने भी
पकड़े जाते हैं। चूंकि हाथों से पैरों को
पकड़कर यह आसन किया
जाता है इसलिए इसे
पादहस्तासन कहा जाता है। यह आसन खड़े
होकर किया जाता है।
ताड़ासन
: इससे शरीर की स्थिति ताड़
के पेड़ के समान रहती
है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। यह आसन खड़े
होकर किया जाता है। इस आसन को
नियमित करने से पैरों में
मजबूती आती है।
विपरीत
नौकासन : नौकासन पीठ के बल लेटकर
किया जाता है, इसमें शरीर का आकार नौका
के समान प्रतीत होती है। इससे मेरुदंड को शक्ति मिलती
है। यौन रोग व दुर्बलता दूर
करता है। इससे पेट व कमर का
मोटापा दूर होता है।
हलासन
: हलासन में शरीर का आकार हल
जैसा बनता है, इसीलिए इसे हलासन कहते हैं। इस आसन को
पीठ के बल लेटकर
किया जाता है। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने
के लिए महत्वपूर्ण है।
सर्वांगासन
: इस आसन में सभी अंगो का व्यायाम होता
है, इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन को
पीठ के बल लेटकर
किया जाता है। इससे दमा, मोटापा, दुर्बलता एवं थकानादि विकार दूर होते है।
शवासन
: शवासन में शरीर को मुर्दे समान
बना लेने के कारण ही
इस आसन को शवासन कहा
जाता है। यह पीठ के
बल लेटकर किया जाता है और इससे
शारीरिक तथा मानसिक शांति मिलती है।
मयूरासन
: इस आसन को करते समय
शरीर की आकृति मोर
की तरह दिखाई देती है, इसलिए इसका नाम मयूरासन है। इस आसन को
बैठकर सावधानी पूर्वक किया जाता है। इस आसन से
वक्षस्थल, फेफड़े, पसलियाँ और प्लीहा को
शक्ति प्राप्त होती है।
पश्चिमोत्तनासन
: इस आसन को पीठ के
बल किया जाता है। इससे पीठ में खिंचाव होता है, इसीलिए इसे पश्चिमोत्तनासन कहते हैं। इस आसन से
शरीर की सभी मांसपेशियों
पर खिंचाव पड़ता है। जिससे उदर, छाती और मेरुदंड की
कसरत होती है।
वक्रासन
: वक्रासन बैठकर किया जाता है। इस आसन को
करने से मेरुदंड सीधा
होता है। इस आसन के
अभ्यास से लीवर, किडनी
स्वस्थ रहते हैं।
मत्स्यासन
: इस आसन में शरीर का आकार मछली
जैसा बनता है, इसलिए यह मत्स्यासन कहलाता
है। यह आसन से
आंखों की रोशनी बढ़ती
है और गला साफ
रहता है।
सुप्त-वज्रासन : यह आसन वज्रासन
की स्थिति में सोए हुए किया जाता है। इस आसन में
पीठ के बल लेटना
पड़ता है, इसिलिए इस आसन को
सुप्त-वज्रासन कहते है, जबकि वज्रासन बैठकर किया जाता है। इससे घुटने, वक्षस्थल और मेरुदंड को
आराम मिलता है।
वज्रासन
: वज्रासन से जाघें मजबूत
होती है। शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। पाचन क्रिया के लिए यह
बहुत लाभदायक है। खाना खाने के बाद इसी
आसन में कुछ देर बैठना चाहिए।
पद्मासन
: इस आसन से रक्त संचार
तेजी से होता है
और उसमें शुद्धता आती है। यह तनाव हटाकर
चित्त को एकाग्र कर
सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
योग
दिवस का आरम्भ
21 जून
2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इस अवसर पर
192 देशों और 47 मुस्लिम देशों में योग दिवस का आयोजन किया
गया। दिल्ली में एक साथ 35975लोगों ने योगाभ्यास किया। इसमें
84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद
थे। इस अवसर पर
भारत ने दो विश्व
रिकॉर्ड बनाकर 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स'
में अपना नाम दर्ज करा लिया है। पहला रिकॉर्ड एक जगह पर
सबसे अधिक लोगों के एक साथ
योग करने का बना, तो
दूसरा एक साथ सबसे
अधिक देशों के लोगों के
योग करने का।
योग
की महत्व को UN ने भी माना
वह
एक ऐतिहासिक क्षण था। 11 दिसंबर 2014 यूनाइटेड नैशंस की आम सभा
ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को
स्वीकार करते हुए 21 जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में
घोषित कर दिया इस
प्रस्ताव का समर्थन 193 में
से 175 देशों ने किया और
बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार
कर लिया गया। भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ का प्रस्ताव यूएन
असेंबली में रखा था, जिसे दुनिया के 175 देशों ने भी सह-प्रस्तावित किया था। यूएन जनरल असेंबली में किसी भी प्रस्ताव को
इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन भी अपने आप
में एक रिकॉर्ड बन
गया। इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को
इतने बड़े पैमाने पर इतने देशों
का समर्थन नहीं मिला था, और यह भी
पहली बार हुआ था कि किसी
देश ने यूएन असेंबली
में कोई इस तरह की
पहल सिर्फ 90 दिनों के भीतर पास
हो गयी हो। यह भी अपने
आप में एक रिकॉर्ड है।
21 जून
को ही क्यों?
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ही बनाए जाने के पीछे वजह
है कि इस दिन
ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य
धरती की दृष्टि से
उत्तर से दक्षिण की
ओर चलना शुरू करता है.
यानी सूर्य जो अब तक
उत्तरी गोलार्ध के सामने था,
अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना
शुरू हो जाता है। योग के नजरिए से
यह समय संक्रमण काल होता है,
यानी रूपांतरण के लिए बेहतर
समय होता है।
पोस्ट में योग के इतिहास, उद्देश्य, महत्व, प्रकार व योग दिवस के बारे में बताया गया है | अगर पोस्ट पसंद आये तो लाइक शेयर और कमेंट्स जरूर करें |
धन्यवाद |